नया आयकर विधेयक 2025: मुख्य बातें और प्रभाव
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2025 का आयकर विधेयक पेश किया, जिसे बाद में जांच के लिए एक प्रवर समिति को भेज दिया गया[4]। इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है[2]।
सीतारमण ने कहा कि प्रवर समिति आयकर कानून में प्रस्तावित परिवर्तनों की जांच करेगी और अगले सत्र के पहले दिन तक संसद को एक रिपोर्ट सौंपेगी[4]। सरकार का लक्ष्य है कि संसद से मंजूरी मिलने पर यह विधेयक वित्तीय वर्ष 2026-27 में लागू हो जाए[1][8]। लागू होने के बाद, यह 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा[2][7]।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं
2025 के आयकर विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं[2][3]:
- सरलीकरण और पारदर्शिता: विधेयक का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और अधिक पारदर्शी बनाना है[1][2]। मौजूदा 819 धाराओं को घटाकर 536 किया गया है, और शब्दों की संख्या भी कम की गई है[1]।
- आकलन वर्ष की जगह टैक्स वर्ष: विधेयक में ‘आकलन वर्ष’ (Assessment Year) की जगह ‘टैक्स ईयर’ (Tax Year) का कॉन्सेप्ट रखा गया है[3]। टैक्स ईयर 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक चलेगा[3]।
- डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा: विधेयक में ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट’ (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) और ‘इलेक्ट्रॉनिक मोड’ जैसे नए शब्द जोड़े गए हैं, जिससे डिजिटल लेनदेन और आभासी संपत्तियों को कर प्रणाली के दायरे में स्पष्ट रूप से लाया जा सके[2]।
- विवादों में कमी: स्पष्ट नियमों और आसान शब्दों में प्रावधानों को पेश करके विवादों की संभावना को कम किया जाएगा[1]।
- छूटों का सरलीकरण: पेचीदा छूटों और जटिल प्रोत्साहनों को हटाकर एक सरल, पारदर्शी और न्यायसंगत कर ढांचा तैयार किया जाएगा[1]। स्टार्टअप्स, डिजिटल व्यवसायों और अक्षय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं[2]।
- वैश्विक मानकों के अनुरूप: नए कर ढांचे को दुनियाभर में सफल कर मॉडलों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जिससे भारत की टैक्स प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनेगी[1]।
- डिजिटल तकनीक का उपयोग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित स्क्रूटनी और डिजिटल फाइलिंग को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे टैक्स प्रशासन तेज और पारदर्शी बनेगा[1]।
- गैर-लाभकारी संगठनों के लिए स्पष्ट नियम: टैक्स योग्य आय, अनुपालन नियमों और वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों को स्पष्ट किया गया है, जिससे कर छूट की परिभाषा अधिक स्पष्ट होगी[2]।
विधेयक पर विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने अभी तक इस विधेयक पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन प्रवर समिति में भेजे जाने के बाद इस पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है[4]।
विधेयक का भविष्य
2025 के आयकर विधेयक को अब प्रवर समिति द्वारा जांच की जाएगी[4]। प्रवर समिति अगले सत्र के पहले दिन तक संसद को एक रिपोर्ट सौंपेगी[4]। संसद तब विधेयक पर बहस करेगी और मतदान करेगी[4]। यदि संसद द्वारा विधेयक को मंजूरी दी जाती है, तो यह वित्तीय वर्ष 2026-27 में प्रभावी होगा[1][8]।
विधेयक का महत्व
यह विधेयक कर प्रणाली को सरल बनाने, डिजिटल और स्टार्टअप निवेश को प्रोत्साहित करने और कर अनुपालन को आसान बनाने के लिए एक बड़ा कदम है[2]। इससे व्यक्तिगत करदाताओं, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संस्थाओं को अधिक स्पष्ट और पारदर्शी कर नियमों का लाभ मिलेगा[2]।
निष्कर्ष
नया आयकर विधेयक 2025 भारत की कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रयास है[2]। सरलीकरण, पारदर्शिता और डिजिटल तकनीक के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करके, यह विधेयक करदाताओं और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है[1]।