टाटा पावर और ONGC की बड़ी साझेदारी: भारत में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) को मिलेगी नई ताकत

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का तेजी से विस्तार हो रहा है, और इसे अधिक कुशल बनाने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) की जरूरत लगातार बढ़ रही है। इसी दिशा में टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (TPREL) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC) ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और नवीकरणीय ऊर्जा को और अधिक विश्वसनीय बनाना है।

🔹 साझेदारी का उद्देश्य और महत्व

TPREL और ONGC की यह साझेदारी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) के व्यावसायिक अवसरों को खोजने और उन्हें विकसित करने पर केंद्रित है। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण, ग्रिड स्थिरता, माइक्रोग्रिड, औद्योगिक ऊर्जा भंडारण, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और ऊर्जा व्यापार (Energy Trading) जैसे क्षेत्रों में संयुक्त रूप से काम किया जाएगा।

  • BESS तकनीक बिजली ग्रिड की स्थिरता को बनाए रखने में मदद करती है।
  • यह सौर और पवन ऊर्जा जैसी अस्थिर ऊर्जा स्रोतों को प्रभावी रूप से उपयोग में लाने की क्षमता प्रदान करती है।
  • यह ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करके औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाएगी।
  • भारत के ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन (Green Energy Transition) को तेज करने में मदद मिलेगी।

🔹 बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) का महत्व

बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन और खपत के बीच संतुलन बनाए रखना है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसकी अस्थिरता (Intermittency) एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा केवल दिन में उपलब्ध होती है, जबकि पवन ऊर्जा हवा की गति पर निर्भर करती है। ऐसे में, BESS तकनीक इन चुनौतियों से निपटने में मदद करती है।

BESS के प्रमुख लाभ:

✔ ऊर्जा भंडारण की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
✔ पावर कट और ग्रिड फेलियर जैसी समस्याओं को कम करता है।
✔ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देता है।
✔ ऊर्जा व्यापार (Energy Trading) को आसान बनाता है, जिससे कंपनियां अधिशेष बिजली बेच सकती हैं।

🔹 भारत के ऊर्जा लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता

भारत ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Energy Storage Systems) आवश्यक हैं। ONGC ने भी 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 10 GW तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, कंपनी ने स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में निवेश बढ़ा दिया है। ONGC और TPREL की यह साझेदारी सरकार की “नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (NEP) 2023” के अनुरूप है, जो भारत को आत्मनिर्भर और हरित ऊर्जा राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

🔹 TPREL की उपलब्धियां और अनुभव

TPREL, टाटा पावर की सहायक कंपनी है, जो भारत में ग्रीन एनर्जी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख प्रोजेक्ट चला रही है।

  • हाल ही में, TPREL ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में भारत की सबसे बड़ी 100 मेगावाट सौर परियोजना स्थापित की।
  • इसी प्रोजेक्ट के तहत 120 मेगावाट घंटे की यूटिलिटी-स्केल बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रणाली भी शुरू की गई।
  • TPREL के पास बड़ी ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं को विकसित करने का व्यापक अनुभव है, जो ONGC को इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति प्राप्त करने में मदद करेगा।

🔹 साझेदारी के लाभ और संभावनाएं

इस समझौते से भारत को ऊर्जा क्षेत्र में कई रणनीतिक लाभ मिलेंगे, जैसे:

1️⃣ ग्रिड स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा:

  • BESS तकनीक ग्रिड के संतुलन को बनाए रखेगी और बिजली कटौती की समस्याओं को कम करेगी
  • बिजली की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने से ऊर्जा की विश्वसनीयता (Reliability) और दक्षता (Efficiency) बढ़ेगी

2️⃣ इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगा बढ़ावा:

  • भारत में EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार होगा।
  • बैटरियों की मदद से EV चार्जिंग स्टेशन अधिक कुशल और स्थिर हो सकेंगे

3️⃣ नवीकरणीय ऊर्जा का अधिकतम उपयोग:

  • यह साझेदारी सौर और पवन ऊर्जा को और अधिक उपयोगी बनाएगी
  • बिजली उत्पादन और खपत के बीच बेहतर तालमेल बनेगा।

4️⃣ ऊर्जा व्यापार के अवसर:

  • यह साझेदारी ऊर्जा व्यापार (Power Trading) को प्रोत्साहित करेगी
  • कंपनियां अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचने में सक्षम होंगी, जिससे राजस्व बढ़ेगा।

🔹 भविष्य की दिशा

भारत का ऊर्जा क्षेत्र तेजी से हरित और स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। सरकार ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां और प्रोत्साहन योजनाएं लागू कर रही है। ऐसे में, टाटा पावर और ONGC की यह साझेदारी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक अग्रणी ग्रीन एनर्जी लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी

भविष्य में यह साझेदारी निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी:

✅ BESS प्रौद्योगिकी में नवाचार और अनुसंधान
✅ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इकोसिस्टम का विस्तार
✅ ऊर्जा व्यापार और बैकअप पावर समाधान
✅ ग्रीन हाइड्रोजन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास

🔹 निष्कर्ष

TPREL और ONGC की यह साझेदारी भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) ऊर्जा प्रबंधन, ग्रिड स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को अधिक प्रभावी बनाएंगे। इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी, कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा

👉 यह पहल भारत के लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे और देश “नेट-जीरो एमिशन” के लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब पहुंचेगा। 💡🔋

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मैं एक उत्साही ब्लॉगर हूं जिसे विभिन्न विषयों पर लिखने का शौक है। चाहे वह क्रिप्टोकरेंसी, फाइनेंशियल प्लानिंग, पॉप कल्चर, या रोज़मर्रा की ज़िंदगी के अनुभव हों, मैं हर विषय पर अपने विचार साझा करता हूं। मेरे लिए लेखन केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि पाठकों से जुड़ना, उन्हें प्रेरित करना और नई चीज़ों को समझने का अवसर देना है। मैं मानता हूं कि हर शब्द के पीछे एक कहानी होती है, और अपनी लेखनी के जरिए मैं उन कहानियों को जीवंत बनाने की कोशिश करता हूं।

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