भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में अपनी नियुक्ति के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएँ हैं, जो मजबूत उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास पर आधारित हैं। इस लेख में हम संजय मल्होत्रा की दृष्टि, RBI की नीतियों और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
संजय मल्होत्रा का परिचय
संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर 2024 को RBI के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने अपने पहले संवाद में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिरता प्राप्त होगी। उनका मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2024-25 की दूसरी छमाही में पुनः गति पकड़ेगी, खासकर सार्वजनिक उपभोग और निवेश में वृद्धि के कारण.
- भविष्यवाणी करने की क्षमता: मल्होत्रा ने अपने करियर में डेटा का गहन विश्लेषण किया है, जिससे उन्हें सरकारी नीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिली है।
- दैनिक समीक्षा बैठकें: वे “हर्ड टास्कमास्टर” के रूप में जाने जाते हैं, जो अपनी टीम के साथ दैनिक समीक्षा बैठकें करते हैं, जिससे उनकी कार्यशैली में अनुशासन और सटीकता का पता चलता है।
- याददाश्त: उनके बारे में कहा जाता है कि उनकी याददाश्त “हाथी की तरह” होती है, यानी वे छोटी-छोटी जानकारियों को भी लंबे समय तक याद रख सकते हैं।
आर्थिक सुधार की संभावनाएँ
मल्होत्रा ने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर पहले हाफ में धीमी रहने के बावजूद, दूसरी छमाही में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनियाँ 2025 में मजबूत बैलेंस शीट और उच्च लाभप्रदता के साथ प्रवेश करेंगी, जिससे निवेश का माहौल बेहतर होगा
- उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास: मल्होत्रा ने बताया कि उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास उच्च स्तर पर है, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।
- निवेश का माहौल: कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट और लाभप्रदता से निवेश का माहौल उज्जवल होगा।
- वैश्विक चुनौतियाँ: हालांकि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है।
RBI की नीतियाँ और रणनीतियाँ
संजय मल्होत्रा ने RBI की नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि RBI अपने मौद्रिक नीति ढांचे को संशोधित करेगा ताकि आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके तहत, उन्होंने मुद्रास्फीति और विकास पूर्वानुमान उपकरणों की समीक्षा शुरू कर दी है, जिससे अनुमान त्रुटियों को कम किया जा सके.
नीतिगत प्राथमिकताएँ:
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: RBI का मुख्य ध्यान मुद्रास्फीति पर रहेगा, जबकि विकास को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
- संरचनात्मक सुधार: मल्होत्रा ने वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है।
- स्ट्रेस टेस्ट परिणाम: बैंकिंग प्रणाली और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए स्ट्रेस टेस्ट परिणाम सकारात्मक रहे हैं, जिससे उनकी पूंजी स्तरों में स्थिरता बनी रहेगी.
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि संजय मल्होत्रा ने सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, जैसे कि अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ इम्पोज़िशन और मुद्रा अवमूल्यन, भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, RBI को छोटे वित्तीय संस्थानों के लिए फंडिंग तक पहुँच को आसान बनाने की आवश्यकता होगी.
निष्कर्ष
संजय मल्होत्रा का RBI गवर्नर बनना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उनकी नीतियों और दृष्टिकोण से यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 में भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास, निवेश का बढ़ता माहौल और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की RBI की प्रतिबद्धता से भारतीय अर्थव्यवस्था एक नई दिशा में बढ़ सकती है।
इस प्रकार, संजय मल्होत्रा का कार्यकाल भारतीय रिजर्व बैंक के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है, जो न केवल मौद्रिक नीति को प्रभावित करेगा बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि को भी प्रोत्साहित करेगा।